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Ayariya Uvajhae Sutra

|| आयरिय-उवज्झाए सूत्र ||

|| AYARIYA UVAJHAE SUTRA||



प्रतिक्रमण पाठी ४५

आयरिय-उवज्झाएसीसे साहम्मिए कुल-गणे य ।
जे मे केइ कसायासव्वे तिविहेण खामेमि ।।१।।

AYARIYA-UVAJJHAYE, SISE SAHAMMIE KULA-GANE Y | 
JE ME KEI KASAYA,SAVVE TIVIHENAM KHAMEMI |1| 



सव्वस्स समण-संघस्सभगवओ अंजलिं करिअ सीसे।
सव्वं खमावइत्ताखामेमिसव्वस्स अहयं पि।।२।।

SAVVASSA SAMANA-SANGHASSA, BHAGAVAO ANJALIM KARIA SISE |
SAVVAM KHAMAVAITTA, KHAMEMI SAVVASSA AHAYAM PI |2| 



सव्वस्स जीव-रासिस्सभावओ धम्मम निहिय नियचितो। 
सव्वं खमावइत्ताखामेमिसव्वस्स अहयंपि।।३।।


SAVVASSA JIVA-RASISSA, BHAVAO DHAMMAM NIHIA NIA-CHITTO |  
SAVVAM KHAMAVAITTA, KHAMAMI SAVVASSA AHAYAM PI |3|


आयरिय-आचार्य महाराज 
उवज्झाएउपाध्याय महाराज  
सीसे – शिष्य 
साहम्मिए – साधर्मिको 
कुल-एक आचार्य का शिष्य समुदाय 
गणे –गण समूह पर 

जे –जो 
मे –मैंने 
केइ –कुछ  
कसाया – क्रोध आदि कषाय कीया हो तो 
सव्वे – सबको  
तिविहेण – तीन योग (मन, वचन, काया) से 
खामेमि – खमाता हूँ  (क्षमा चाहता हूँ)



सव्वस्स – इसी प्रकार सभी 
समण-संघस्स – श्रमण संघ साधु समुदाय (चतुर्विघसंघ) 
भगवओ – भगवान को 
अंजलिं – दोनो हाथ जोड़ 
करिअ – करके 
सीसे – शीश पर लगा कर 
सव्वं – सबको 
खमावइत्ता – खमा करके
खामेमि– क्षमा करता हूँ 
सव्वस्स – सबको 
अहयंपि – मैं भी 


सव्वस्स – सभी 
जीव-रासिस्स – जीव राशि से 
भावओ – भाव से 
धम्मम निहिय नियचितो – धर्म में स्थापिथ कर 
सव्वं – सबसे 
खमावइत्ता - खमा करके
खामेमि– क्षमा करता हूँ
सव्वस्स – सबको 
अहयंपि – मैं भी 

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