Logassa
English
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Prakrit
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Meaning
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Logassa Ujyogare, Dhamma-Tith-yare jine.
Arihante Kiteyisam, chavisampi kevli
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लोगस्स उज्जोअ-गरे, धम्म-तित्थ-यरे जिणे.
अरिहंते कित्तइस्सं, चउवीसं पि केवली |
अखिल विश्व में धर्म का प्रकाश करने वाले, धर्म तीर्थ की स्थापना करने वाले, राग - द्वेष के जीतने वाले, अन्तरंग काम, क्रोधादि शत्रुओं को नष्ट करने वाले, केवल ज्ञानी चौबीस तीर्थंकरों का मैं कीर्तन करूंगा अर्थात स्तुति करूंगा
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Usabha-majiam Cha vande, Sambhav-mabhinam-danam cha Sumaiyam Cha.
Pau-am-paham supasam, jinam cha chand-paham vande
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उसभ-मजिअं च वंदे, संभव-मभिणंदणं च सुमइं च.
पउम-प्पहं सुपासं, जिणं च चंद-प्पहं वंदे
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श्री ऋषभदेव, श्री अजितनाथ की वंदना करता हूँ │ सम्भव, अभिनन्दन, सुमति, पदम् प्रभ, सुपार्श्व और राग - द्वेष विजेता चन्द्रप्रभ को भी नमस्कार करता हूँ
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Suvihim cha Pufa-dantam, seeyala sijansa-vaasu pujam cha.
Vimala-manatam cha jinam, dhamma santim cha vandami
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सुविहिं च पुप्फ-दंतं, सीअल-सिज्जंस-वासु-पुज्जं च.
विमल-मणंतं च जिणं, धम्मं संतिं च वंदामि |
श्री पुष्पदन्त (सुविधिनाथ), शीतल,श्रेयांस, वासुपूज्य, विमलनाथ, राग - द्वेष विजेता अनन्त, धर्म तथा श्री शान्तिनाथ भगवान को नमस्कार करता हूँ
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Kunthum aram cha mallim, vande muni suvayam nami jinam cha.
Vandami Rith-nemim, pasam tah vadhmanan Cha
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कुंथुं अरं च मल्लिं, वंदे मुणि-सुव्वयं नमि-जिणं च.
वंदामि रिट्ठ-नेमिं, पासं तह वद्धमाणं च
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श्री कुंथुनाथ, अरनाथ, मल्लिनाथ, मुनिसुव्रत एवं राग - द्वेष के विजेता नमिनाथ जी की वंदना करता हूँ इसी प्रकार भगवान् अरिष्टनेमि, पार्श्वनाथ, अन्तिम तीर्थंकर वर्धमान (महावीर स्वामी) को भी नमस्कार करता हूँ │
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Evam may abhithua, vihuya-ray-mala Pahin jar marna.
Chavisam pi jinvara, tithyara mein pasiyantu
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एवं मए अभिथुआ, विहुय-रय-मला पहीण-जर-मरणा.
चउ-वीसं पि जिणवरा, तित्थ-यरा मे पसीयंतु
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जिनकी मैंने स्तुति की है, जो कर्म रुपी धूलि के मैल से रहित हैं, जो जन्म – मरण दोनों से सर्वथा मुक्त हैं, वे अन्तः शत्रुओं पर विजय पाने वाले धर्म के प्रवर्तक चौबीस तीर्थंकर मुझ पर प्रसन्न हों│
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Kitiya-vandiya-mahiya, je aey logassa utamaa siddha.
Aarug bohi laabham, samaahi-var-mutam-am-dintu
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कित्तिय-वंदिय-महिया, जे ए लोगस्स उत्तमा सिद्धा.
आरुग्ग-बोहि-लाभं, समाहि-वर-मुत्तमं-दिंतु
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जिनकी इन्द्रादि देवों तथा मनुष्यों ने स्तुति की है, वंदना की है, पूजा अर्चना की है, और जो अखिल संसार में सबसे उत्तम हैं, वे सिद्ध (तीर्थंकर भगवान्) मुझे सिद्धत्व अर्थात पूर्ण आत्म शान्ति, सम्यग्दर्शनादि रत्नत्रय का पूर्ण लाभ तथा समाधि प्रदान करें │
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Chandesu nimaalya-ra, aayichesu ahiyam pyas-yara
Sagar-var-ghambhira, siddha sidhim mam disantu
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चंदेसु निम्मल-यरा, आइच्चेसु अहियं पयास-यरा.
सागर-वर-गंभीरा, सिद्धा सिद्धिं मम दिसंतु |
जो अनेक कोटाकोटि चंद्रमाओं से भी विशेष निर्मल हैं, जो अनेक सूयों से भी अधिक प्रकाशमान हैं, जो स्वयंभूरमण जैसे महा समुद्र के समान गम्भीर हैं, वे सिद्ध भगवान् मुझे सिद्धि अर्पण करें, अर्थात उनके आलम्बन से मुझे सिद्धि (मोक्ष) प्राप्त हो │
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